ये दिल कभी तो तेरे पास है
बहोत ही खास है
और कभी तुझसे दूर जाना चाहे ...
ये दिल तेरा हो गया है
तुझमे ही खोया है
पर फिरभी तुझको पाना चाहे ...
सोचूं में हर घरी बस येही अब
कब मिलेंगे तेरे मेरे राहें?
जब में देखूं तुझे दूर से
लगती हैं तू अजनबी
जब मेरे पास होती है तू
खिल उठती है मेरी जिन्दगी
तू कहीं भी रहे पर जनले ये
तुझतक आती है मेरी सदाएं!
8:18 PM 7/31/2008
सोचूं में हर घरी बस येही अब्काब.........
ReplyDeleteसमझ में नहीं आया। कृपया वर्तनी में सुधार करें। वैसे कल्पना में दम है।
ये दिल तेरा हो गया है
ReplyDeleteतुझमे ही खोया है
पर फिरभी तुझको पाना चाहे ...
सोचूं में हर घरी बस येही अब्काब
कब मिलेंगे तेरे मेरे राहें?
बहुत सुन्दर। स्वागत है आपका।
सुन्दर कविता ।
ReplyDeleteधन्यवाद ।
.
ReplyDeleteतुम तो बहुत ही सधा हुआ लिखते हो, भाई !
जब में देखूं तुझे दूर से
ReplyDeleteलगती हैं तू अजनबी
जब मेरे पास होती है तू
खिल उठती है मेरी जिन्दग
सच के करीब हैं ये पंक्तियां, बधाई।
Thanks to everybody who Commented on the above Post. Such comments will always encourage me in writing more!
ReplyDeleteThe actual sentences are as follows:
सोचूं में हर घरी बस येही अब
कब मिलेंगे तेरे मेरे राहें?
Sorry for the spelling (Plz Curse Google for this .. lol)
Thanks ... Dilse!
agar dilse kuch bhi chaho to milega zarur, i believe in that. thanks yaar, dilse...
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