Wednesday, January 28, 2009

बेवफा दिल


दिल का क्या है
दिल तो लग जाती है वहां
जहाँ दिल लगाना मुनासिब न हो,
शरतें वफ़ा का ऐसी ही है यारो
दिलको क्यों बेवफा कहें?

हमने तेरे खातिर सनम
दिलको समझाएं बहोत,
उरती पंछी, बहता बादल को देखकर
दिल भी उरना चाहे कभी तो
दिलको क्यों बेवफा कहें?

एक ही ज़िन्दगी है हमारी
तेरे नाम जो कर दी है
तेरे हाथों में है दिल हमेशा
तेरे प्यार में डूबा हुआ है दिल
फिर बेवफाई क्यों करें?

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