हमारे दिल की खबर न पूछो, लाओ जाम भर दो ए साकी,
यूँ जल चूका हैं प्यार में दिल ये, के अब तो दिल में राख़ है
बाकी ||
‘गर हम न कहते जो ग़म उसीके, शयेद वो हमसे यूँ रूठती न
रूठ कर जो गई वो हमसे, के अब तो उसकी ग़म ही हैं बाकी ||
बदलदो दुनिया के सारी रस्मे, ये रस्मे बोलो हैं कामकी क्या,
उलझी रही वो रस्मों में ऐसे, हाथ मे जाम और मए थी बाकि ||
शोंची तो होगी उसने बिछड़ के, खोया क्या हमने, पाया भी क्या,
जो हमको सोंचे ये शोंच कर वो, के अब्भी दिलमे याद हैं बाकी ||
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