Thursday, January 29, 2009

मेरी ज़िन्दगी



खूब होता अगर तुम न होते
हम रातों को निंदभर सोते
खुश तो हम शायेद न होते
पर अकेले यूँ फिर न रोते...

ज़माने की परवा नही थी हमे
ज़माना हमारी किस काम की?
प्यार कभी तुने किया ही नही
साथ चली, पर बस नाम की ।

ज़िन्दगी तुमको हम
क्या कहे अब कहो
चाहो अगर तुम
दो घरी और रहो ।

तुम जो हो तो जिए जा रहे हम
खूब होता अगर तुम न होते ...



Tejpur, Assam
July 5, 2005

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