Tuesday, March 24, 2009

तुम



तुम में खोजाना चाहती हूँ..
लुटजाना चाहती हूँ..
खुद को भूलजाना चाहती हूँ..
अगर हक दो तो..

तुम से जुड़जाना चाहती हूँ..
मिलजाना चाहती हूँ..
खुद को भुला देना चाहती हूँ..
अगर हक दो तो..

तुम से नाम हमारी है..
शान हमारी है..
तुम से पहचान हमारी है..
अगर समझो तो..

तुम में जान हमारी है..
मान हमारी है..
तुम से ज़मीं और आसमान हमारी है..
अगर समझो तो..

तुम से है चाहत
तुम में है राहत
हमारी हर आहट
में तुम हो..

तुम हो अब आदत
तुम मोहब्बत
हमारी हर करवट
में तुम हो..

The Girl In Me Speak Again!!

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