गंगा नहाले तु
अपनी चलाले तु
दिल की बाज़ी में मुझको
मोहरा बनाले तु...
जा छोड़ दि मैंने तेरी कलाई
तेरी वफ़ायें मुझे रास ना आई
दिल की गली में अब ना होगा बसेरा, जा
मेहल बनाले तु...
सपनों में अब न होगा आना जाना
रेत में था जो दिल का आशियाना
एक ही लेहर से वो बदला ठिकाना, जा
रब के हवाले तु...
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