Saturday, December 6, 2008

दिल का कारवाँ लूट गया

दिलके टुकरे हो गए तो
अश्क़ ये निक्ल परे
जो बोये सो पाया हैं हमने
अब कैसी शिकायत करे

जीन गलिओं में
हम चले थे
हर मोर पे ठोकर मिला
जिस् चमन का
माली बने हम
एक भी न फूल खिला
वास्ता दे किस्को अपनी प्यार का
कौन हैं जो मेरी वफ़ा पे गौर करे ...

सब कुछ लूटाके
देखा हमने
दिल का कारवाँ लूट गया
देखा था जिस्मे
सुन्हेरे सपने
वोही शीशा टूट गया,
रहा ना जगमे कोई अपना या पराया
किस्को समझाए, किस्के आगे हाथ जोरे ...
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