Tuesday, September 9, 2008

तुम ही तुम हो...

कैसे मैं कहदुं
तुम मेरे क्या हो,
तूफ़ान में जैसे
तुम असरा हो,
दिलमे समाई रहती हो हमारी
मेरी मंजिल हो तुम
तुमहि रास्ता हो

फूलों में तुम हो
फिज़ाओं में तुम हो
बोझल है साँसे
हवाओं में तुम हो,
दिलसे निकलके जो पहोचे दिलतक
उन सदाओं में हो तुम
मेरी आहो में तुम हो

12:25 AM 9/9/2008
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